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Bhagwatgeeta

                           श्री परमात्मने नमः  शास्त्रों का अवलोकन और महापुरुषों के वचनों का श्रवण करके मैं इस निर्णय पर पहुंचा कि संसार में श्री भगवत गीता के समान कल्याण के लिए कोई भी उपयोगी ग्रंथ नहीं है! गीता में ज्ञान योग,  कर्म योग, ध्यान योग, भक्ति योग आदि जितने भी साधन बतलाए गए उनमें से कोई भी साधन अपनी श्रद्धा, रुचि और योग्यता के अनुसार करने से मनुष्य का शीघ्र कल्याण हो सकता है!      श्री भगवतगीता डाउनलोड कर सकते है ⬇️ Download Here Bhagwatgeeta

देवउठनी एकादशी और तुलसी विवाह -2020

देवउठनी एकादशी और  तुलसी विवाह कार्तिक शुक्ल पक्ष एकादसी को भगवान विष्णु निद्रा से जागेंगे और मांगलिका कार्य शुरू हो जाएंगे। इस दिन कहीं सुबह तो कहीं शाम के समय देवउठनी की पूजा की जाती है। गन्नों से मंडप तैयार किया जाता है औऱ  फल भगवान को अर्पित कर दीप प्रज्वलित किए जाते हैं। इस दिन सुबह के समय तुलसी जी की भी पूजा की जाती है।  तिथि 24 नवंबर की मध्यरात्रि 02 बजकर 43 मिनट से शुरू होगी और 26 नवंबर की सुबह 05 बजकर 11 मिनट पर समाप्त होगी।  26 नवंबर सुबह 10 बजे तक व्रत का पारण कर सकते हैं। इस दिन तुलसी की पूजा करने का भी विधान है। तुलसी की पूजा में तुलसी को सुहागिन महिलाएं सुहाग की चीजें और लाल चुनरी अर्पित करती हैं।  तुलसी के जन्म की कथा के अनुसार  तुलसी (पौधा) पूर्व जन्म मे एक लड़की थी, जिसका नाम वृंदा था। राक्षस कुल में जन्मी यह बच्ची बचपन से ही भगवान विष्णु की भक्त थी। जब वह बड़ी हुई तो उनका विवाह राक्षस कुल में ही दानव राज जलंधर से संपन्न हुआ। राक्षस जलंधर समुद्र से उत्पन्न हुआ था। वृंदा बड़ी ही पतिव्रता स्त्री थी, सदा अपने पति की सेवा किया करती थी एक बार देवताओ और दानवों में युद्ध हु

Diwali Greating

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कुबेर पूजन

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कुबेर की  पूजन, मंत्र कब करनी चाहिए जो की इस प्रकार दिया गया है :- कुबेर हिन्दू धर्म के एक देवता हैं। इन्हें देवताओं का कोषाध्यक्ष माना जाता है। वाराह पुराण के अनुसार पहले जन्म में कुबेर दे गुणनिधि नाम के एक वेदज्ञ ब्राह्मण थे। माना जाता है कि लक्ष्मी जी की पूजा के साथ दिवाली पर कुबेर भगवान की भी पूजा अवश्य करनी चाहिए। माना जाता है कि कुबेर देव धरती में दबे हुए खजाने की रक्षा करते हैं।   कुबेर पूजा मंत्र :- इस मंत्र द्वारा कुबेर देव का ध्यान करना चाहिए- आवाहयामि देव त्वामिहायाहि कृपां कुरु। कोशं वद्र्धय नित्यं त्वं परिरक्ष सुरेश्वर।। धन प्राप्ति के लिए कुबेर देव को इस मंत्र के जाप द्वारा प्रसन्न करना चाहिए- * ‘ऊं श्रीं ऊं ह्रीं श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीं क्लीं वित्तेश्वराय नमः।’ * ऊँ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्याधिपतये धनधान्यसमृद्धिं में देहि दापय * ‘ऊँ कुबेराय नमः।’ कुबेर की पूजा विधि :- धन प्राप्ति के लिए पूरे विधि विधान से कुबेर देव से पूजा करनी चाहिए। यह पूजा धनतेरस, दीपावली,  किसी पंडित से पूछ कर श्रेष्ठ दिन करनी चाहिए। कुबेर देव को प्रसन्न के लिए धनतेरस का दिन बहुत ही शुभ माना

दीपावली पूजन

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 कार्तिक मास मे दीपो का दान करना और दीपावली पूजन मुहूर्त इस प्रकार है :- सनातन धर्म में श्रीमहालक्ष्मी की प्रसन्नता का पवित्र पर्व कार्तिक अमावस्या 'दीपावली'पर्व 14 नवंबर शनिवार को मनाया जाएगा। इसी दिन भगवान श्री गणेश,  श्री महालक्ष्मी,   श्रीकुबेर, कुलदेवता तथा अपने अपने ईष्ट आदि की पूजा-आराधना करके प्राणी वर्ष पर्यंत सुखी जीवन यापन करने का प्रयास करते हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार  श्री महालक्ष्मी कार्तिक अमावस्या को मध्यरात्रि के समय अपने भक्तों के घर जा-जाकर उन्हें धन-धान्य से सुखी रहने का आशीर्वाद देती हैं। वैसे तो इस दिन के सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त प्रदोष काल तथा महानिशीथ काल को माना गया है किंतु, अमावस्याकाल के आरंभ होने से लेकर अंततक के मध्य नक्षत्र संयोग, लग्न काल और चौघड़िया जैसे कई ऐसे मुहूर्त होते हैं जिनके मध्य बड़े से बड़े कार्य आरंभ करके प्राणी पूर्णसफलता प्राप्त कर सकता है। दीपावली के प्रसिद्ध मुहूर्तो में चर,लाभ,अमृत और शुभ चौघड़िया मुहूर्त भी श्रेष्ठ माना गया है साथ ही स्थिर लग्न अथवा शुभ ग्रहों से प्रभावित लग्न को भी श्रेष्ठ माना गया है। इस दिन पूजा आराधना के श्

कार्तिक मास की कथा

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कार्तिक मास  जय श्री कृष्णा  कार्तिक मास का खास महत्व है, इस महीने को बहुत  पवित्र माना जाता है,  इस महीने में व्रत, जाप और तप किया जाता है, इस महीने में जो मनुष्य संयम के साथ नियमों का पालन करता है, उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है, कार्तिक मास मे  स्नान का भी बहुत लाभ कारी सिद्ध होता है जो कई जन्मो के पाप ताप मीट जाते है और साथ मे कथा भी पड़ने से सुकून मिलता है जीवन तर जाता है ये पुण्य को बढ़ाता है!      कार्तिक मास की कथा :           Download Here

मां कालरात्रि

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नवरात्र के सातवें दिन मां दुर्गा के कालरात्रि स्वरूप की पूजा की जाती है। मां कालरात्रि हमेशा अपने भक्तों पर कृपा बरसाती हैं और शुभ फल प्रदान करती हैं। देवी भागवत पुराण के अनुसार, मां कालरात्रि अभय वरदान के साथ ग्रह बाधाओं को दूर करती हैं। साथ ही आकस्मिक संकटों से भी मुक्ति मिलती है। मां कालरात्रि को काली, महाकाली, भद्रकाली, भैरवी, मिृत्यू, रुद्रानी, चामुंडा, चंडी, रौद्री और धुमोरना देवी के नाम से जाना जाता है। मां की कृपा प्राप्त करने के लिए मां को गंगाजल, गंध, पुष्प, अक्षत, पंचामृत और अक्षत से मां की पूजा की जाती है। भागवत पुराण के अनुसार, देवी कालरात्रि का शरीर अंधकार की तरह काला है और इनके श्वास से आग निकलती है। मां के बाल बड़े और बिखरे हुए हैं और गले में पड़ी माला बिजली की तरह चमकती रहती है। मां कालरात्रि को आसरिक शक्तियों का विनाश करने वाला बताया गया है। इसके साथ ही मां के तीन नेत्र ब्रह्मांड की तरह विशाल व गोल हैं। मां के चार हाथ हैं, जिनमें एक हाथ में खडग् अर्थात तलवार, दूसरे में लौह अस्त्र, तीसरे हाथ अभय मुद्रा में है और चौथा वरमुद्रा में है।  मां कालरात्रि को सभी सिद्धियों की

माँ कात्यायनी

 आज नवरात्री का छटवा दिन  मां कात्यायनी का दिन है ! आज के दिन मां कात्यायनी की विधि-विधान से पूजा की जाती है। मान्यता है कि माता अपने भक्तों के लिए दया भाव रखती हैं और उनकी हर हाल में मनोकामनाएं पूरी करती हैं। कहते हैं कि मां कात्यायनी प्रसन्न होकर सुयोग्य वर का आशीर्वाद देती हैं और विवाह में आने वाली रुकावटें दूर करती हैं। हिंदू मान्यताओं के अनुसार, मां कात्यायनी की कृपा से भक्तों के सभी मंगल कार्य पूरे होते हैं। मां के जन्म के पीछे की कहानी- ऋषि कात्यायन देवी मां के परम उपासक थे। एक दिन मां दुर्गा ने इनकी तपस्या से प्रसन्न होकर इनके घर पुत्री के रुप में जन्म लेने का वरदान दिया। ऋषि कात्यायन की पुत्री होने के कारण ही देवी मां को मां कात्यायनी कहा जाता है। माँ कात्यायनी के आशीर्वाद को प्राप्त करने के लिए विवाह योग्य किशोरियों द्वारा जपा जानेवाला एक लोकप्रिय मंत्र है। कात्यायनी मंत्र मुख्यतः प्रेम में बाधाओं को दूर करने के लिए और एक सुखी विवाहित जीवन के लिए प्रयोग किया जाता है। कात्यायनी मंत्र उन लोगों के लिए एक प्रभावी मंत्र है जिनके विवाह में विभिन्न कारणों से अवरोध उत्पन्न हो रहा

श्रीमद भगवतगीता

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श्री भगवतरस -श्रीमद भगवतगीता  

Shri vishnu yantra

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Shri krishna yantra

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श्री लक्ष्मी यन्त्र                                                        श्री कृष्ण यन्त्र 

श्रीमहालक्ष्मी अष्टक

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        श्री इंद्रकृत श्रीमहालक्ष्मी अष्टक                      !!श्री गणेशाय नमः!!                         ॥ श्री महालक्ष्म्यष्टकम् ॥                नमस्तेस्तू महामाये श्रीपिठे सूरपुजिते । शंख चक्र गदा हस्ते महालक्ष्मी नमोस्तूते ॥ १ ॥ नमस्ते गरूडारूढे कोलासूर भयंकरी । सर्व पाप हरे देवी महालक्ष्मी नमोस्तूते ॥ २ ॥ सर्वज्ञे सर्ववरदे सर्वदुष्ट भयंकरी । सर्व दुःख हरे देवी महालक्ष्मी नमोस्तूते ॥३ ॥ सिद्धीबुद्धूीप्रदे देवी भुक्तिमुक्ति प्रदायिनी । मंत्रमूर्ते सदा देवी महालक्ष्मी नमोस्तूते ॥ ४ ॥ आद्यंतरहिते देवी आद्यशक्ती महेश्वरी । योगजे योगसंभूते महालक्ष्मी नमोस्तूते ॥ ५ ॥ स्थूल सूक्ष्म महारौद्रे महाशक्ती महोदरे । महापाप हरे देवी महालक्ष्मी नमोस्तूते ॥ ६ ॥ पद्मासनस्थिते देवी परब्रम्हस्वरूपिणी । परमेशि जगन्मातर्र महालक्ष्मी नमोस्तूते ॥ ७ ॥ श्वेतांबरधरे देवी नानालंकार भूषिते । जगत्स्थिते जगन्मार्त महालक्ष्मी नमोस्तूते ॥ ८ ॥ महालक्ष्म्यष्टकस्तोत्रं यः पठेत् भक्तिमान्नरः । सर्वसिद्धीमवाप्नोति राज्यं प्राप्नोति सर्वदा ॥ ९ ॥ एककाले पठेन्नित्यं महापापविनाशनं । द्विकालं यः पठेन्नित्यं धनधान्य समन्