Bhagwatgeeta

                           श्री परमात्मने नमः  शास्त्रों का अवलोकन और महापुरुषों के वचनों का श्रवण करके मैं इस निर्णय पर पहुंचा कि संसार में श्री भगवत गीता के समान कल्याण के लिए कोई भी उपयोगी ग्रंथ नहीं है! गीता में ज्ञान योग,  कर्म योग, ध्यान योग, भक्ति योग आदि जितने भी साधन बतलाए गए उनमें से कोई भी साधन अपनी श्रद्धा, रुचि और योग्यता के अनुसार करने से मनुष्य का शीघ्र कल्याण हो सकता है!      श्री भगवतगीता डाउनलोड कर सकते है ⬇️ Download Here Bhagwatgeeta

दीपावली पूजन

 कार्तिक मास मे दीपो का दान करना और दीपावली पूजन मुहूर्त इस प्रकार है :-

सनातन धर्म में श्रीमहालक्ष्मी की प्रसन्नता का पवित्र पर्व कार्तिक अमावस्या 'दीपावली'पर्व 14 नवंबर शनिवार को मनाया जाएगा। इसी दिन भगवान श्री गणेश,  श्री महालक्ष्मी,   श्रीकुबेर, कुलदेवता तथा अपने अपने ईष्ट आदि की पूजा-आराधना करके प्राणी वर्ष पर्यंत सुखी जीवन यापन करने का प्रयास करते हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार  श्री महालक्ष्मी कार्तिक अमावस्या को मध्यरात्रि के समय अपने भक्तों के घर जा-जाकर उन्हें धन-धान्य से सुखी रहने का आशीर्वाद देती हैं। वैसे तो इस दिन के सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त प्रदोष काल तथा महानिशीथ काल को माना गया है किंतु, अमावस्याकाल के आरंभ होने से लेकर अंततक के मध्य नक्षत्र संयोग, लग्न काल और चौघड़िया जैसे कई ऐसे मुहूर्त होते हैं जिनके मध्य बड़े से बड़े कार्य आरंभ करके प्राणी पूर्णसफलता प्राप्त कर सकता है।
दीपावली के प्रसिद्ध मुहूर्तो में चर,लाभ,अमृत और शुभ चौघड़िया मुहूर्त भी श्रेष्ठ माना गया है साथ ही स्थिर लग्न अथवा शुभ ग्रहों से प्रभावित लग्न को भी श्रेष्ठ माना गया है। इस दिन पूजा आराधना के श्रेष्ठ मुहूर्त इस प्रकार हैं।


 वेपारीक  शोरूम, फैक्ट्री  तथा दुकान आदि के लिए पूजा
इस वर्ष दीपावली के दिन का बताये गए उपरोक्त सभी प्रतिष्ठानों में गद्दी की पूजा, कुर्सी की पूजा, गल्ले की पूजा, तुला पूजा, मशीन-कंप्यूटर, कलम-दवात आदि की पूजा का सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त 'अभिजित दोपहर 12 बजकर 09 मिनट से आरम्भ हो जाएगा इसी के मध्य क्रमशः चर, लाभ और अमृत की चौघडियां भी विद्यमान रहेंगी जो शायं 04 बजकर 05 मिनट तक रहेंगी। इसी काल के मध्य किसी भी तरह के व्यापारिक प्रतिष्ठान जहां से आपके धनागमन का साधन बना हो उस स्थान की पूजा करना श्रेष्ठ रहेगा।
माँ लक्ष्मी सिद्ध मंत्र :-

ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्री सिद्ध लक्ष्म्यै नम:

इस मंत्र का जाप 108 बार  या  इस से अधिक कर सकते हो तो व्यक्ति को लाभ मिलता है। 

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